Who is the creator of our destiny? हमारे भाग्य का निर्माता कौन है?
यह एक ऐसा स्वाभाविक सवाल है जो किसी न किसी रूप में समाज में सभी लोगो के मन में पाया जाता है ।फिर चाहे वह कोई पढा लिखा प्रफेशनल व्यक्ति हो या फिर कोई दीन दुनिया से बेखबर कोई आम साधारण इन्सान ही क्यों न हो ।हम सभी को यह जानने की उत्सुकता बराबर रहती है कि आखिर मनुष्य के भाग्य का फैसला कौन करता है?
भाग्य का निर्माता बनाम ईश्वर (Creator of destiny versus God)
कुछ लोगों का विचार है कि ईश्वर हमारे भाग्य को पहले से ही लिख देता है अर्थात हमें क्या बनना है या क्या नहीं बनना है यह बहुत कुछ भाग्य के निर्माता उस ईश्वर के हांथ मे है जो हमारे साथ साथ पूरी दुनिया के भाग्य का लेखा-जोखा रखता है ।और हम सब के भाग्य के अनुसार ही हमें जीवन में सफलता और असफलता से रूबरू कराता है ।इस लिए हमें जो भी अच्छा बुरा जीवन प्राप्त हो उसे स्वीकार कर लेना चाहिए ।ईश्वर या फिर अपने भाग्य से बिना किसी शिकायत या शर्त के ।यही हमारा परम कर्तव्य भी है ।
भाग्य का निर्माता बनाम हमारे कर्म (Manufacturer of Destiny vs Our Work)
ईश्वर यद्यपि संसार का मालिक है लेकिन इसके बावजूद कुछ लोगों का मानना है कि यह सच नही है कि ईश्वर हमारे भाग्य का निर्माता है या फिर ईश्वर हमारे भाग्य को पहले से ही तय कर देता है ।इस लिए हमें उसकी इच्छा मानकर अपने भाग्य को स्वीकारते हुए ज्यादा उछल कूद करने की नही सोचना चाहिए ।जो लोग इस विचार धारा को मानते हैं उनका कहना है कि वास्तव में हमारे भाग्य का कोई भी अन्य निर्माता नही होता बल्कि हम स्वयं अपने-अपने भाग्य के मालिक होते हैं ।अर्थात ईश्वर द्वारा नही बल्कि हमारे आचरण और कर्मों के अनुसार हमारे भाग्य का निर्धारण हम स्वयं करते हैं न कि कोई दूसरी अलौकिक शक्ति । (
कर्म वीर और हमारे भाग्य का रहस्य (Karm Veer and the secret of our fate)
इस संसार मे जो भी व्यक्ति अपने कर्तव्य को महत्व देते हैं उनका कहना है कि जो कुछ भी हम मनुष्य का जीवन प्राप्त करने के बाद अच्छा बुरा पाप पुण्य हासिल करते हैं उस सब के लिए हमारा खुद का जीवन ही वास्तव में मालिक होता है न कि ईश्वर ।लेकिन जो लोग ईश्वर को बीच में शामिल करते हैं तो उनका उद्देश्य अपनी ड्यूटी या अपने कर्मों के फल से भागने का होता है ।
हमारे भाग्य का निर्माता और पैंतरेबाजी (Our Destiny Manufacturer and Maneuver)
चूंकि हर मनुष्य को अपने कर्मों पर नही बल्कि
अपने भविष्य के सुखद और अच्छे होने पर ज्यादा ध्यान रहता है इसलिए दुनिया में भाग्य की पैंतरेबाजी का विकास हुआ और यह क्रम सैकड़ों सालों से अबाध चल रहा है ।किसी जमाने में तो राजा-महाराजा बाकायदा राज ज्योतिष रखने के प्रति बेहद संवेदनशील थे और मजेदार बात यह है कि आज भले इसका रूप बदल गया हो लेकिन असलियत जरा भी नही बदली ।आज भी बड़े बड़े राजनेता अभिनेता इसी लकीर के फकीर बनकर भाग्य को जानने के लिए हर क्षण लालायित दिखाई देते हैं ।
भाग्य का फैसला बनाम हमारा भविष्य (Fortune Decision vs Our Future)
यह सच है कि भाग्य हर व्यक्ति के हांथ मे होता है लेकिन हम चूंकि अपनी जिम्मेदारी के एहसास से दूर होते हैं इसलिए भाग्य की कहानी हमें ज्यादा आकर्षित करती है ।
सच कहें तो हम इसी लिए भाग्य जानने के प्रति हर वक्त संजीदा रहते हैं ।लेकिन जिन्हे अपने कर्म और अपने पुरुषार्थ पर भरोसा होता है तो वह भाग्य पर नही अपने खुद के भरोसे पर ज्यादा ध्यान देते हैं ।
लेखक :केपी सिंह
Kpsingh9775@gmail.com
13022018
यह एक बहुत रूचिकर विषय है क्योंकि दोनों पक्षथरों की संख्या में कमी नहीं है |
सही कहा आपने लेकिन हमें अपना दृष्टिकोण तो विकसित ही करना पड़ेगा ।
बहुत सुंदर विचार है भाई जी
आपका बेहद शुक्रिया अशोक जी
मनुष्य को अगर कर्म और भाग्य दोनों का साथ मिल जाए तो उसे सफलतम व्यक्तियों में शामिल होने से कोई नही रोक सकता
यह बहुत आसान है
कोई भी व्यक्ति यदि अपने कर्म पर ध्यान दे तो भाग्य स्वयं सही हो जाएगा
Sahi kha Aapne sir ..
Kyunki hmare haath m kevel karma Karna hai jaisa bhi hum karenge vaisa hi hmare samne aayega ..
Accha ya bura
धन्यवाद
बहुत ही सुंदर बात बताई है सर आपने
शुक्रिया आपका
जैसा कर्म करेंगे वैसा हि भाग्य होगा , सही कहा आपने सर
सहमति के लिए बेहद शुक्रिया
बहूत हि रोचक तथ्य है
धन्यवाद सर
Good sir
very nice
अच्छे कर्म भाग्य को अपने कदमों में झुकने को मजबूर कर देते हैं
Karm pradhan he.karm se hi achche bhagya kanirmaan hota he.karya jaisa karoge bhagya vesa banega.
Aapka lekh bahut badiya he.karm aur bhagya ke baare me aapne achchi vivechna ki. Dhanybaad.
Bhagvan ne nahame janm diya.koye bhi bap yah Nahi Chahta ki usaka santan garib ho abhav me jiye Bhavan Kisi Ka Bhavya Nahi likhata